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क्या आप यह सोच रहे है कि फिक्स्ड डिपोसिट में इन्वेस्ट करें या बांड्स में। आइये जानते हैं कि बांड्स और fd में कोन बेहतर विकल्प है।
वैसे किसी भी फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट करना एक व्यक्तिगत्त निर्णय है। यह पूरी तरह व्यक्ति के जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। तो आइये जानते हैं बांड vs फिक्स्ड डिपोसिट में कोन बेहतर है।
हम सभी जानते हैं कि इन्वेस्टमेंट में जितना रिस्क होता है उसी के अनुपात में प्रॉफिट भी होता है। इसलिए आज भी बहुत से लोग शेयर मार्किट से दूर भागते हैं क्यों इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है। और इसी डर से वो सभी लोग बैंक की फिक्स्ड डिपोसिट स्कीम में ही अपना इन्वेस्ट करते है जिसमे सिर्फ ३ से ६ प्रतिशत ही रिटर्न मिलता हैं। और इसमें कुछ गलत भी नहीं है।
लेकिन निवेशकों में एक और विकल्प फेमस है और वो है बांड्स। बांड्स एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है। लेकिन सुरक्षा के भी अलग अलग पैमाने हैं। जिनका जिक्र हम पहले कर चुके हैं। आप इस लिंक पर उसे पढ़ सकते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम निवेश के दोनों विकल्प फिक्स्ड डिपाजिट और बांड्स के बारे में एक व्यापक तुलना करेंगे
बांड और फिक्स्ड डिपोसिट क्या है ?
बांड्स :
बांड्स एक इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जिसमे निवेशक कंपनी को पैसे उधार देता है और बदले में निवेशक को अपनी मूल धनराशि पर आकर्षक ब्याज मिलता है जिसे कंपनी मासिक , अर्ध वार्षिक या वार्षिक देती है। बांड्स सरकारों ,राज्यों , नगर पालिकाओं और निजी कम्पनियों द्वारा जारी किये जाते हैं। इनकी समय सीमा ५ से ७ साल तक हो सकती है।
फिक्स्ड डिपोसिट :
फिक्स्ड डिपोसिट एक फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट है इसमें निवेशक पहले से तय की गयी ब्याज दर पर अपने पैसे इन्वेस्ट करता है। इसमें निवेश की अवधि के बहुत सारे विकल्प मौजूद होते है जिसे निवेशक निर्धारित करता है। इसमें निवेश का मूल धन और ब्याज फिक्स्ड डिपोसिट स्कीम के समय सीमा पूर्ण होने पर देय होते हैं।
मुख्य अंतर
सुरक्षा :
बांड्स को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है क्यों कि इसमें कंपनी के डिफाल्टर घोषित हो जाने पर उसकी भौतिक सम्पतियाँ बेच कर बांड होल्डर का पैसा चुकाया जाता है। FD भी सुरक्षित होती है लेकिन यदि बैंक डिफ़ॉल्ट हो जाता है तो इसमें भौतिक सम्पति का सहारा नहीं मिलता।
रिटर्न की संभावना :
बांड सभी अमीर लोगो की पहली पसंद है क्यों कि इसमें बैंक की फिक्स्ड डिपोसिट स्कीम की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलता है। जो आम तौर पर 7 से 12 प्रतिशत होता है
लिक्विडिटी :
बांबांड्स का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है जो इसे ज्यादा लिक्विड एसेट बनाती है। उदाहरण के तौर पर लिक्विडिटी का अर्थ है कि जब भी आप समय से पहले अपने पैसों को निकलवाना चाहते हैं तो बांड्स को आप सेकेंडरी मार्किट में बेच सकते हैं। जब कि FD में समय सीमा से पैसे निकलवाने पर जुर्माना या कम ब्याज दर लगती हैं।
भुगतान के विकल्प
बांड्स में निवेशक के पास रिटर्न के विकल्प नहीं होते। यह कंपनी दवारा तय किये गए अर्ध वार्षिक, वार्षिक या संचयी हो सकते हैं। जब की FD में निवेशक के पास पेमेंट रिसीव करने के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं।
निष्कर्ष
फड़ और बांड्स में निवेश का चुनाव व्यक्तिगत्त वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम पर आधारित होता है। फिक्स्ड डिपोसिट रिटर्न कम देते है लेकिन इनमे जोखिम भी कम होता है। जब कि बांड में रिटर्न अधिक होता है लेकिन fd के तुलना में रिस्क ज्यादा हो सकता है। इसलिए निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखें और अपने जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करें।
याद रखें निवेश में विविधता को महत्व दें। जोखिम को कम करने के लिए अपने पैसे को विभिन प्रकार के इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स निवेश करें। निवेश करने के लिए Diversification हमेशा एक अच्छा तरीका रहा है।
*अस्वीकरण: यह ब्लॉग पोस्ट केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा एक वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।*