दुनिया में जितने भी अमीर लोग है वो सभी बांड्स में निवेश जरूर करते हैं। क्यों की वो सभी जानते हैं कि शेयर मार्किट में कभी भी कुछ भी हो सकता है और बैंक की फिक्स्ड डिपोसिट स्कीम से वो कभी अमीर नहीं बना सकते। इसलिए वो अपनी इन्वेस्टमेंट का कुछ हिस्सा बांड्स में इन्वेस्ट जरूर करते हैं बांड्स में निवेश करना शेयर मार्किट में निवेश करने से ज्यादा सुरक्षित है। हाँ, बांड्स शेयर मार्किट जितना रिटर्न तो नहीं देता लेकिन आपके पैसे डूबेंगे नहीं।
सब से अच्छी बात यह है कि बांड्स में निवेश करने से जो रिटर्न मिलता है वो बैंक की फिक्स्ड डिपोसिट स्कीम से भी ज्यादा होता है। आम तौर पर यह 9 से 12 प्रतिशत होता है।
बांड्स में इन्वेस्ट कैसे करें ?
यदि आप फिक्स्ड डिपाजिट के रिटर्न से खुस नहीं हैं तो आप बांड्स में निवेश कर सकते है ।
बांड्स इन्वेस्टमेन्ट का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है । लेकिन बांड्स में भी कई तरह के रिस्क फैक्टर होते है तो रिस्क को कम करने के लिए और रिटर्न को बढ़ाने के लिए इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे ।
तो आइये जानते हैं बांड्स में इन्वेस्ट करने का बेस्ट तरीका क्या है ?
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Type of Markets in Bonds Invesment
निवेशक दो तरीको से बांड्स में इन्वेस्ट कर सकता है पहले प्राइमरी मार्किट के माध्यम से और दूसरा सेकंडरी मार्किट से
प्राइमरी मार्किट
जब कंपनी पहली बार बांड्स जारी करती है तो निवेशक सीधे कंपनी से बांड्स खरीदता है । इसे प्राइमरी मार्किट कहा जाता है । प्राइमरी मार्किट में निवेशक बांड्स कंपनी की वेबसाइट से या उसकी किसी नजदीकी ब्रांच ऑफिस से खरीदता है
सेकेंडरी मार्किट –
जब निवेशक किसी कंपनी का बांड्स सीधे कंपनी से ना खरीद कर किसी दूसरे निवेशक से खरीदता या बेचता है तो उसे सेकेंडरी मार्किट कहा जाता है । सेकेंडरी मार्किट में निवेशक बांड्स खरीदने या बेचने के लिए किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट की मदद लेता है जहां पर सभी तरह के बांड्स लिस्टेड होते हैं । थर्ड पार्टी टूल की मदद से बांड्स को कपड़े करना बहुत आसान होता है और बांड्स से सम्बंधित सभी जानकारी भी आसानी से पढ़ी जा सकती है ।
Types of Risk in Bond Investment
बांड्स में इन्वेस्ट करने से पहले हमे पता होना चाहिए कि बांड्स में किस तरह के रिस्क होते है । ताकि हम अपनी रिसक को कम और प्रॉफिट ज्यादा कर सके । बांड्स में दो तरह के रिस्क होते हैं Credit Risk और Interest Rate Risk । बांड्स में इन्वेस्ट करते समय इन दो रिस्क से कभी समझौता नहीं करना ।
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Credit Risk
सभी बांड्स में कुछ हद तक रिस्क होता है जिसकी वजह से आप आय का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा भी खो सकते है और यदि कंपनी डिफ़ॉल्ट हो जाती है तो हो सकता है कि आप निवेश की गयी मूल राशि का कुछ हिस्सा या साडी धनराशि भी खो सकते हैं । इन्ही जोखिमों को कम करने के लिए कंपनी के डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के आधार पर क्रेडिट रेटिंग की जाती है । यह समझा जाता है कि क्रेडिट रेटिंग जितनी अच्छी होती है कंपनी के डिफ़ॉल्ट होने की भी उतनी ही कम संभावना होती है । यह रेटिंग्स ट्रिपल A से D तक जाती है । ट्रिप्ले b से ऊपर की रेटिंग को अच्छा माना जाता है ।
तो जिस भी कंपनी का क्रेडिट रेटिंग AAA होता है हमेशा उसी में इन्वेस्ट करने की सलाह दी जाती है ।
Interest Rate Risk
सामान्यतः यह देखा गया है कि जब भी बाज़ार में ब्याज दर बढ़ा है तो बांड का बाज़ार मूल्य गिरा है। यह जोखिम सभी तरह के बांड्स में देखा गया है। बाज़ार का प्रभाव ब्याज दरों पर पड़ता है लेकिन यह बदलाव बहुत बड़े पैमाने पर नहीं हुए है। ब्याज दरों पर बहुत ही मामूली उतर चढ़ाव देखने को मिले हैं। हालाँकि यह जरूरी नहीं है कि पहले जो हुआ है भविष्य में भी वही होगा।
सामान्यतः यह देखा गया है कि जब भी बाज़ार में ब्याज दर बढ़ा है तो बांड का बाज़ार मूल्य गिरा है। यह जोखिम सभी तरह के बांड्स में देखा गया है। बाज़ार का प्रभाव ब्याज दरों पर पड़ता है लेकिन यह बदलाव बहुत बड़े पैमाने पर नहीं हुए है। ब्याज दरों पर बहुत ही मामूली उतर चढ़ाव देखने को मिले हैं। हालाँकि यह जरूरी नहीं है कि पहले जो हुआ है भविष्य में भी वही होगा।
Note:
बांड्स में इन्वेस्ट करने
से पहले आपको Bonds Coupon, Face Value और Bond yields के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। Bonds Coupon, Face Value और Bond yields को compare करने के बाद ही बांड्स में इन्वेस्ट किया जाता है
बांड्स में कूपन का क्या मतलब होता है ?
बांड एक डेब्ट इंस्ट्रूमेंट है। जब भी किसी कंपनी या सरकार को पैसों की जरूरत होती है तो वह बैंक से लोन लेने की बजाए पब्लिक में बांड इशू करती है। ताकि उसे कम ब्याज पर पैसे मिल सके। इसमें कंपनी या सरकार एक निश्चित ब्याज राशि कूपन रेट के आधार पर बांड होल्डर को देती है।
बांड होल्डर को जिस दर पर ब्याज राशि मिलती है उसे कूपन कहा जाता है। उदाहरण के लिए , यदि एक $100 बांड का कूपन 9% है तो बांड निवेशक को $9 सालाना प्राप्त होंगे
बॉन्ड पर दिए जाने वाले वार्षिक ब्याज को कूपन कहा जाता है ।
बांड्स में फेस वैल्यू क्या होती है ?
जब कंपनी पहली बार बांड इशू करती है तो उन बांड्स की एक फिक्स्ड वैल्यू रखी जाती है जिसे फेस वैल्यू कहते हैं। उदाहरण के तौर पर कोई कंपनी अपने बांड की कीमत $100 निर्धारित करती है तो यह कहा जाता है कि इसकी फेस वैल्यू $100 है। एक ही कंपनी कई बांड्स निकाल सकती है जिनकी फेस वैल्यू भी अलग अलग हो सकती है।
बांड यील्ड क्या होता है ? बांड यील्ड किसे कहते हैं ?
बांड्स एक डेब्ट इंस्ट्रूमेंट है जिसे कॉर्पोरेट और सरकारे अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जारी करती है । जैसे कॉर्पोरेट अपनी नई बिल्डिंग के लिए और सरकार नए हाईवे के लिए । इसमें एक निश्चित अवधि के लिए निवेशक एक निश्चित ब्याज दर पर अपने पैसे इन्वेस्ट करता है । फिर कंपनी निवेशक को बांड की अवधि के दौरान ऋण और ब्याज का भुगतान करती है निवेशक को किसी बांड पर जो रिटर्न मिलता है उसे बांड यील्ड कहते हैं ।
जारीकर्ता कंपनी एक एग्रीमेंट के आधार पर एक निश्चित ब्याज राशि हर महीने या अर्ध -वार्षिक या वार्षिक देने के लिए बाध्य होती है।
निष्कर्ष
बांड्स में इन्वेस्ट करने से पहले 4 बातों का ध्यान रखें
- बांड्स की क्रेडिट रेटिंग्स AAA से कम ना हो ,
- बांड्स में इन्वेस्ट करने से पहले Coupon Rate, Face Value और Bond Yeild जरूर compare करें।
- बांड्स में निवेश करने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि आप लम्बी अवधि के निवेश में कम्फर्ट हैं ?
- और यह भी पक्का कर लें कि ब्याज राशि कितने समय के अंतराल के बाद प्राप्त करना चाहते हैं – हर महीने या अर्ध -वार्षिक या वार्षिक।
इन बातों का ध्यान रख कर यदि आप बांड्स में निवेश करेंगे तो निश्चित ही आप अपनी इन्वेस्मेंट से अच्छा प्रॉफिट हासिल कर पाएंगे।
आशा करता हूँ आप मेरे द्वारा दी गयी जानकारी से संतुष्ट होंगे। यदि बांड्स से सम्बंधित आपके कोई भी सवाल हैं तो आप कमेंट में लिख सकते हैं